भारत में नेट मीटरिंग क्या है? जानिए पूरी जानकारी

सोलर पावर सिस्टम लगाने की सोच रहे हैं? नेट मीटरिंग आपके बिजली बिल को कम करने का स्मार्ट तरीका है।

नेट मीटरिंग क्या है?

नेट मीटरिंग एक ऐसी सुविधा है जो आपको अपने घर या व्यवसाय में लगाए गए सोलर पैनल से उत्पन्न अतिरिक्त बिजली को ग्रिड में भेजने की अनुमति देती है। इसके बदले में आपको बिजली बिल में क्रेडिट मिलता है। जब आपके सोलर पैनल ज़रूरत से ज्यादा बिजली बनाते हैं, तो वो एक्स्ट्रा यूनिट्स ग्रिड में चली जाती हैं, और जब सूरज नहीं होता (जैसे रात में), तो आप ग्रिड से बिजली ले सकते हैं।

नेट मीटरिंग कैसे काम करता है?

आपके घर में एक “बाय-डायरेक्शनल मीटर” (दो-तरफा मीटर) लगाया जाता है जो:

महीने के अंत में, अगर आपने ग्रिड को ज्यादा बिजली दी है तो बिल में से यूनिट्स माइनस हो जाती हैं या अगली बिलिंग साइकिल में क्रेडिट हो जाती हैं।

भारत में नेट मीटरिंग की प्रक्रिया:

  1. सोलर पैनल इंस्टॉलेशन का प्लान बनाएं।
  2. स्थानीय DISCOM या विद्युत विभाग से नेट मीटरिंग के लिए आवेदन करें।
  3. नेट मीटर इंस्टॉल कराया जाता है और ग्रिड से कनेक्शन जोड़ा जाता है।
  4. बिजली उत्पादन शुरू होते ही यूनिट की माप शुरू हो जाती है।

नेट मीटरिंग के फायदे:

कौन कर सकता है आवेदन?

भारत में कोई भी घरेलू उपभोक्ता (residential), व्यावसायिक उपभोक्ता (commercial) और औद्योगिक उपभोक्ता (industrial) नेट मीटरिंग के लिए आवेदन कर सकता है। नियम और सब्सिडी राज्य के हिसाब से बदल सकते हैं।

निष्कर्ष:

नेट मीटरिंग न सिर्फ पैसे की बचत करता है, बल्कि आपको आत्मनिर्भर भी बनाता है। यह समय है सोलर को अपनाने का और अपनी छत से बिजली बनाने का। “अपनी छत, अपनी बिजली” की ओर पहला कदम उठाइए।

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